ये कैसा गुस्सा था यार मेरे
जो थूंक थूंक के छलका दिया?
पेड़ पौधे पहाड़ रास्ते,
जर्रे जर्रे को ढलका दिया
छोटी छोटी पगडंडियों से आया था उन का जमघट
जैसे समंदर हो कोइ खोल दिया
फिर, तांक लगाकर, मौका पाकर
शातिर, तूने हमला बोल दिया!
कुछ बह गए, कुछ दबे पड़े है
लेकर तस्वीर अपने खोज रहे है
तेरी नज़र में क्या इतने बड़े
उन के पापों के बोझ रहे है?
हाथ भी न उठ पाए थे फरियाद में
दुआ सलाम सब सिल गए
भगवान को ढूंढने आये थे
भगवान से ही शायद मिल गए
विडियो लिंक
http://youtu.be/4zVbXQFZIz4
No comments:
Post a Comment